निबंधिनीसाधन सदन, 1962 - 202 páginas |
Dentro del libro
Resultados 1-3 de 55
Página 100
... आत्मा की परमात्मा से विरह - भावना । सर्वभूत आत्मा उस महान् आत्मा का ही एक परिछिन्न अंश है । इसको उससे बिछुड़े हुए कल्प बीत गये – कई ...
... आत्मा की परमात्मा से विरह - भावना । सर्वभूत आत्मा उस महान् आत्मा का ही एक परिछिन्न अंश है । इसको उससे बिछुड़े हुए कल्प बीत गये – कई ...
Página 105
... आत्मा , परमात्मा और जगत हैं , उसका दृष्टिकोण सांसा - रिक दृष्टि से उदासीनतापूर्ण आध्यात्मिक है , छायावाद परमात्मा को छोड़ देता है ...
... आत्मा , परमात्मा और जगत हैं , उसका दृष्टिकोण सांसा - रिक दृष्टि से उदासीनतापूर्ण आध्यात्मिक है , छायावाद परमात्मा को छोड़ देता है ...
Página 117
... आत्मा है ; अतः जिस रचना का सर्वस्व आत्मा नहीं , वह कविता नहीं । कवि न तो सदुपदेश देता है और न लेता है । वह अपनी आत्मा को जानता है । इसी ...
... आत्मा है ; अतः जिस रचना का सर्वस्व आत्मा नहीं , वह कविता नहीं । कवि न तो सदुपदेश देता है और न लेता है । वह अपनी आत्मा को जानता है । इसी ...
Otras ediciones - Ver todas
Términos y frases comunes
अधिक अनुभूति अपना अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आत्मा इन इस इसी उनकी उनके उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसमें उसी उसे एवं ओर कर करते करने कला कला के कलाकार कल्पना कवि कविता कहानी का कारण काल काव्य किन्तु किया किसी कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया चाहिए छायावाद जब जा जाता है जाती जी जीवन के जो तक तथा तो था दूसरे दोनों नहीं नहीं है नाटक ने पर प्रकार प्रकृति प्रभाव बात भारत भाव भावना भाषा मन मनुष्य मानव मूल में भी यदि यह यही या युग रहा है रूप लेकर वस्तु वह विकास विचार विशेष विश्व वे वेदना व्यक्ति संसार सकता है सकती सत्य सभी समय समाज समालोचना साधना साहित्य की साहित्य में सृष्टि से स्थिति स्वरूप हम हमारी हमारे हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो सकता होकर होता है होती होते होने