निबंधिनीसाधन सदन, 1962 - 202 páginas |
Dentro del libro
Resultados 1-3 de 45
Página 84
... उसमें दोनों प्रकार के उपायों का सम्मिश्रण ( assimilation ) है ; दोनों प्रकार की चेष्टनाओं का समीकरण है । काव्य में केवल पठन से , और उस पठन ...
... उसमें दोनों प्रकार के उपायों का सम्मिश्रण ( assimilation ) है ; दोनों प्रकार की चेष्टनाओं का समीकरण है । काव्य में केवल पठन से , और उस पठन ...
Página 85
... उसमें चित्र की भाँति केवल एक ही भाव का संवेदन नहीं रहता , एक ही परिस्थिति का चित्रण नहीं रहता , किन्तु मूल अथवा केन्द्रस्थ भावना के ...
... उसमें चित्र की भाँति केवल एक ही भाव का संवेदन नहीं रहता , एक ही परिस्थिति का चित्रण नहीं रहता , किन्तु मूल अथवा केन्द्रस्थ भावना के ...
Página 154
... उसमें कुछ परिवर्तन भी कर देना पड़ता है , क्योंकि भावराशि को प्रबंधित करने में जितना समय व्यय किया जायगा , चाहे वह थोड़ा या नगण्य ही ...
... उसमें कुछ परिवर्तन भी कर देना पड़ता है , क्योंकि भावराशि को प्रबंधित करने में जितना समय व्यय किया जायगा , चाहे वह थोड़ा या नगण्य ही ...
Otras ediciones - Ver todas
Términos y frases comunes
अधिक अनुभूति अपना अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आत्मा इन इस इसी उनकी उनके उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसमें उसी उसे एवं ओर कर करते करने कला कला के कलाकार कल्पना कवि कविता कहानी का कारण काल काव्य किन्तु किया किसी कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया चाहिए छायावाद जब जा जाता है जाती जी जीवन के जो तक तथा तो था दूसरे दोनों नहीं नहीं है नाटक ने पर प्रकार प्रकृति प्रभाव बात भारत भाव भावना भाषा मन मनुष्य मानव मूल में भी यदि यह यही या युग रहा है रूप लेकर वस्तु वह विकास विचार विशेष विश्व वे वेदना व्यक्ति संसार सकता है सकती सत्य सभी समय समाज समालोचना साधना साहित्य की साहित्य में सृष्टि से स्थिति स्वरूप हम हमारी हमारे हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो सकता होकर होता है होती होते होने