निबंधिनीसाधन सदन, 1962 - 202 páginas |
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... तक प्रसरित है । देश - भक्ति , सामाजिक अवस्था , राजनीतिक परिस्थि- तियाँ आदि सभी समकालीन समस्याओं पर उनके नाटक दृष्टिनिक्षेप करते हैं ...
... तक प्रसरित है । देश - भक्ति , सामाजिक अवस्था , राजनीतिक परिस्थि- तियाँ आदि सभी समकालीन समस्याओं पर उनके नाटक दृष्टिनिक्षेप करते हैं ...
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... तक , एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक लहराता है , उसी भाँति सारी दृष्ट प्रकृति एक ही प्रारण की अभिन्न लहर से ओत - प्रोत हैं । उपवन की ...
... तक , एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक लहराता है , उसी भाँति सारी दृष्ट प्रकृति एक ही प्रारण की अभिन्न लहर से ओत - प्रोत हैं । उपवन की ...
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... तक लहलहाती थीं । वीर गाथा - काल से लेकर अभी तक हमारे साहित्य की भावावेशमयी प्रारण - प्रवेगरणी केवल काव्य की अभिव्यंजना में ही निगढ़ ...
... तक लहलहाती थीं । वीर गाथा - काल से लेकर अभी तक हमारे साहित्य की भावावेशमयी प्रारण - प्रवेगरणी केवल काव्य की अभिव्यंजना में ही निगढ़ ...
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Términos y frases comunes
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