निबंधिनीसाधन सदन, 1962 - 202 páginas |
Dentro del libro
Resultados 1-3 de 52
Página 14
... मूल प्रेरक शक्ति है , विश्व की केन्द्रीभूतसृजन - स्फूर्ति है । आज का व्यक्ति राजनीति और अर्थशास्त्र में ही मानव- जीवन के चिर ...
... मूल प्रेरक शक्ति है , विश्व की केन्द्रीभूतसृजन - स्फूर्ति है । आज का व्यक्ति राजनीति और अर्थशास्त्र में ही मानव- जीवन के चिर ...
Página 84
... मूल भावनांश के ही दर्शन होते हैं - उससे सम्बन्ध रखनेवाली अन्य भावनाओं का , जिनसे कि उस भावना का स्वरूप विकृत हो सकता है , या निखर ...
... मूल भावनांश के ही दर्शन होते हैं - उससे सम्बन्ध रखनेवाली अन्य भावनाओं का , जिनसे कि उस भावना का स्वरूप विकृत हो सकता है , या निखर ...
Página 177
... मूल तत्त्व नहीं , ये तो गौरण वस्तुएँ हैं । उसका मूल तत्त्व है गुरण और दोष का निरूपण तथा उच्छृंखल गति के कलाकार को पथ - प्रदर्शन ...
... मूल तत्त्व नहीं , ये तो गौरण वस्तुएँ हैं । उसका मूल तत्त्व है गुरण और दोष का निरूपण तथा उच्छृंखल गति के कलाकार को पथ - प्रदर्शन ...
Otras ediciones - Ver todas
Términos y frases comunes
अधिक अनुभूति अपना अपनी अपने अभिव्यक्ति आज आत्मा इन इस इसी उनकी उनके उपन्यास उस उसका उसकी उसके उसमें उसी उसे एवं ओर कर करते करने कला कला के कलाकार कल्पना कवि कविता कहानी का कारण काल काव्य किन्तु किया किसी कुछ के लिए के साथ केवल को कोई क्या क्योंकि गया चाहिए छायावाद जब जा जाता है जाती जी जीवन के जो तक तथा तो था दूसरे दोनों नहीं नहीं है नाटक ने पर प्रकार प्रकृति प्रभाव बात भारत भाव भावना भाषा मन मनुष्य मानव मूल में भी यदि यह यही या युग रहा है रूप लेकर वस्तु वह विकास विचार विशेष विश्व वे वेदना व्यक्ति संसार सकता है सकती सत्य सभी समय समाज समालोचना साधना साहित्य की साहित्य में सृष्टि से स्थिति स्वरूप हम हमारी हमारे हिन्दी हिन्दी साहित्य ही हुआ हुई हुए हृदय है और है कि हैं हो सकता होकर होता है होती होते होने