Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
Dentro del libro
Resultados 1-3 de 87
Página
... अपना नवीन दृष्टिकोण अपनाया है । इस कृति में मैंने अपना सिद्धान्त , अपनी पद्धति , अपना दृष्टिकोण और अपना मार्ग प्रशस्त किया है ...
... अपना नवीन दृष्टिकोण अपनाया है । इस कृति में मैंने अपना सिद्धान्त , अपनी पद्धति , अपना दृष्टिकोण और अपना मार्ग प्रशस्त किया है ...
Página 97
... अपनी , फूलों के अंचल में ; मिलाते थे अपना कलकंठ झरनों के कोमल कल - कल में । प्रभात की बेला में पक्षियों का कलरव , भौंरों का गुंजन , बहता ...
... अपनी , फूलों के अंचल में ; मिलाते थे अपना कलकंठ झरनों के कोमल कल - कल में । प्रभात की बेला में पक्षियों का कलरव , भौंरों का गुंजन , बहता ...
Página 170
... अपनी ही शंकाओं से व्याकुल रहो और अपने ही विरुद्ध बने रहो तथा अपने को ढके रहो और अपना कृत्रिम रूप दिखलाओ । पृथ्वी की समतल भूमि पर ...
... अपनी ही शंकाओं से व्याकुल रहो और अपने ही विरुद्ध बने रहो तथा अपने को ढके रहो और अपना कृत्रिम रूप दिखलाओ । पृथ्वी की समतल भूमि पर ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है