Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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... किन्तु यह कहना कि ' कामायनी ' की कथा वृहत् नहीं , युक्ति संगत या तर्क संगत नहीं जान पड़ता । प्रसाद जी को संक्षिप्ति - कम - से - कम ...
... किन्तु यह कहना कि ' कामायनी ' की कथा वृहत् नहीं , युक्ति संगत या तर्क संगत नहीं जान पड़ता । प्रसाद जी को संक्षिप्ति - कम - से - कम ...
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... किन्तु कुछ सीमित व्यक्तियों तक ही वह ' धाक ' जमी रही । आँखे खुलने पर उन्होंने भी उस तड़क - भड़क को ठोकर मार दी और अपनी ही भारतीय ...
... किन्तु कुछ सीमित व्यक्तियों तक ही वह ' धाक ' जमी रही । आँखे खुलने पर उन्होंने भी उस तड़क - भड़क को ठोकर मार दी और अपनी ही भारतीय ...
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... किन्तु बात नवीन और मौलिक , यह पौराणिक कथा केवल भारतीय धर्म में ही नहीं वरन् संसार के अन्य धर्म - ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख मिलता ...
... किन्तु बात नवीन और मौलिक , यह पौराणिक कथा केवल भारतीय धर्म में ही नहीं वरन् संसार के अन्य धर्म - ग्रन्थों में भी इसका उल्लेख मिलता ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है