Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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Bhuvana Canda Pāṇḍeya. ऐसे नारी का पूर्ण नारी चरित्र की नारी ( सीता ) देवी है , प्रेमिका । इसी जगत की नारी को सूर मिलना कठिन ही नहीं , दुष्कर भी ...
Bhuvana Canda Pāṇḍeya. ऐसे नारी का पूर्ण नारी चरित्र की नारी ( सीता ) देवी है , प्रेमिका । इसी जगत की नारी को सूर मिलना कठिन ही नहीं , दुष्कर भी ...
Página 63
... नारी है । अन्त में , विश्व - साहित्य के नारी चरित्रों में यदि कोई नारी - चरित्र ' कामायनी ' की श्रद्धा के समान ही पूज्यनीय है , तो वह है ...
... नारी है । अन्त में , विश्व - साहित्य के नारी चरित्रों में यदि कोई नारी - चरित्र ' कामायनी ' की श्रद्धा के समान ही पूज्यनीय है , तो वह है ...
Página 100
... नारी का स्वाभाविक गुण है वह नारी नारी नहीं । नारी के शरीर में लज्जा । जिस नारी में लज्जा नहीं , कोई आभूषण न हो , पर लज्जा का आभूषण ...
... नारी का स्वाभाविक गुण है वह नारी नारी नहीं । नारी के शरीर में लज्जा । जिस नारी में लज्जा नहीं , कोई आभूषण न हो , पर लज्जा का आभूषण ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है