Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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... महाकाव्य की रचना की जाती है | वह मानवता को संदेश देकर युग की वाणी को मुखरित करता है । विश्व आदर्श उसके सम्मुख होता है – एक स्पष्ट ...
... महाकाव्य की रचना की जाती है | वह मानवता को संदेश देकर युग की वाणी को मुखरित करता है । विश्व आदर्श उसके सम्मुख होता है – एक स्पष्ट ...
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... महाकाव्य के रख कर अपने ' कामायनी ' की रचना करते तो अवश्य ही लक्षणों को सामने उनके महाकाव्य का नाम आज विश्व साहित्य तो क्या स्वयं ...
... महाकाव्य के रख कर अपने ' कामायनी ' की रचना करते तो अवश्य ही लक्षणों को सामने उनके महाकाव्य का नाम आज विश्व साहित्य तो क्या स्वयं ...
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... महाकाव्य है जिसमें जीवन के सभी अंगों की पूर्ति मनोविज्ञान के माध्यम द्वारा स्वतंत्र रूप से हुई है तारतम्य कहीं भी ढीला या शिथिल ...
... महाकाव्य है जिसमें जीवन के सभी अंगों की पूर्ति मनोविज्ञान के माध्यम द्वारा स्वतंत्र रूप से हुई है तारतम्य कहीं भी ढीला या शिथिल ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है