Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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... विश्व - भावना से प्रेरित है । संपूर्ण विश्व को वह अपना समझती है और अपने को विश्व की । दर्शन सर्ग में आकर मनु जैसा युक्त भोगी तक भी ...
... विश्व - भावना से प्रेरित है । संपूर्ण विश्व को वह अपना समझती है और अपने को विश्व की । दर्शन सर्ग में आकर मनु जैसा युक्त भोगी तक भी ...
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... विश्व में श्रृंग और डमरू का निनाद बिखर गया : - शक्ति - तरंग प्रलय - पावक का उस त्रिकोण में निखर गठा - सा ; श्रृंग और डमरू निनाद बस सकल विश्व ...
... विश्व में श्रृंग और डमरू का निनाद बिखर गया : - शक्ति - तरंग प्रलय - पावक का उस त्रिकोण में निखर गठा - सा ; श्रृंग और डमरू निनाद बस सकल विश्व ...
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... विश्व आंगन में अपना अतृप्त मन भरती | कवि इस नाचती हुई स्पर्शहीन ... विश्व पतझड़ ' में जलती हुई होली है- ' मृदु होली ' : इस व्यथित विश्व ...
... विश्व आंगन में अपना अतृप्त मन भरती | कवि इस नाचती हुई स्पर्शहीन ... विश्व पतझड़ ' में जलती हुई होली है- ' मृदु होली ' : इस व्यथित विश्व ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है