Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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... से अधिक रहा । फिर भी वह मुस्लिम रीति - रिवाज , दर्शन , साहित्य आदि कुछ भी न अपना सकी । बाहरी तौर से उसने मुस्लिम संस्कृति का साथ दिया ...
... से अधिक रहा । फिर भी वह मुस्लिम रीति - रिवाज , दर्शन , साहित्य आदि कुछ भी न अपना सकी । बाहरी तौर से उसने मुस्लिम संस्कृति का साथ दिया ...
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... से तथा ' मैं रहूँ ' इतना अधिक बढ़ गया है कि वह आशा - निराशा की लहरों में तैर डूब कर कहता है : क्या ... से कोई भविष्य से बन कर अनजान | [ १६१ ]
... से तथा ' मैं रहूँ ' इतना अधिक बढ़ गया है कि वह आशा - निराशा की लहरों में तैर डूब कर कहता है : क्या ... से कोई भविष्य से बन कर अनजान | [ १६१ ]
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... से सभी पात्र ) मानो संगीत की लहर में ही उनका जीवन हो । प्रसाद के पात्र महत्वाकांक्षा ( Ambition ) से भी पीड़ित हैं । उनका जीवन नियति के ...
... से सभी पात्र ) मानो संगीत की लहर में ही उनका जीवन हो । प्रसाद के पात्र महत्वाकांक्षा ( Ambition ) से भी पीड़ित हैं । उनका जीवन नियति के ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है