Kāmāyanī ke panneNavayuga Granthāgāra, 1962 - 207 páginas |
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... हो सकती है ? काम फिर उसे श्रद्धा की याद दिला कर कहता है : मनु ! उसने तो कर दिया दान । वह हृदय प्रणय से पूर्ण सरल जिवन का भरा मान ...
... हो सकती है ? काम फिर उसे श्रद्धा की याद दिला कर कहता है : मनु ! उसने तो कर दिया दान । वह हृदय प्रणय से पूर्ण सरल जिवन का भरा मान ...
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... हो बढ़े भेद | अभिलषित वस्तु हो दूर रहे , हाँ मिले अनिच्छित दुखद खेद ॥ दृश्यों का हो आवरण सना अपने वक्षस्थल की जड़ता । पहचान सकेंगे ...
... हो बढ़े भेद | अभिलषित वस्तु हो दूर रहे , हाँ मिले अनिच्छित दुखद खेद ॥ दृश्यों का हो आवरण सना अपने वक्षस्थल की जड़ता । पहचान सकेंगे ...
Página 186
... हो कभी विलीन | - " लक्ष्मी की लीला , कमल के पत्तों पर जल - बिन्दु , आका के मेघ - समारोह — अरे ! इनसे भी क्षुद्र नीहार- कणिकाओं की प्रभात ...
... हो कभी विलीन | - " लक्ष्मी की लीला , कमल के पत्तों पर जल - बिन्दु , आका के मेघ - समारोह — अरे ! इनसे भी क्षुद्र नीहार- कणिकाओं की प्रभात ...
Términos y frases comunes
अपना अपनी अपने अब आज आदि आनन्द इस इसी उस उसका उसकी उसके उसमें उसे एक कभी कर करता है करती करते करने कर्म कला कवि कवि ने का काम कामायनी काव्य किन्तु किया है किसी की की ओर कुछ के रूप के लिए केवल कोई क्या गई गया चित्र चिन्ता जब जा जाता है जाती जिस जीवन जो ज्ञान तक तथा तुम तो था थी थे दर्शन दिया देख देता देती है नहीं नारी नियति पति पर प्रकृति प्रसाद जी ने प्रेम फिर बन भाव भी भीतर मनु को महाकाव्य मानव में में ही मैं यह यही या रस रहा है रही रहे रूप रूप में ले लेकिन वर्णन वह वासना विश्व वे शिव श्रद्धा के संस्कृति सकता सत्य सब सर्ग में सा साहित्य सी सीता सुख सुन्दर सृष्टि से सौन्दर्य ही हुआ हुआ है हुई हुए हूँ हृदय है और है कि हैं हो होकर होता है